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शिक्षा मानव जीवन को समृद्धि प्रदान करने का एक सशक्त साधन है। यह एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से एक बालक आगे चलकर समाज का एक कुशल नागरिक बनता है। कुशल नागरिक ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण करता है। कुशल नागरिक के निर्माण में शिक्षा की महती भूमिका होती है। शिक्षा का श्रीगणेश मानव के जन्म से ही हो जाता है, किन्तु समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा की अति आवश्यकता होती है। उच्च शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी में पूर्ण मानवीय गुणों का संचार होता है। उच्च शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के बौद्धिक , मानवीय तथा अन्तर्निहित रचनात्मकता को विकसित करना होता है। आज समाज में मूल्यहीनता , आदर्श शून्यता , साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रीयता गम्भीर रूप धारण कर चुकी है , अतएव इन समस्त दुर्विचारों से मुक्ति हेतु उच्च शिक्षा का महत्व आज के परिपेक्ष्य में अधिक बढ़ गया है।
राष्ट्र एवं समाज के सर्वांगीण विकास हेतु छात्र/छात्राओं को न केवल शिक्षित करना बल्कि आधुनिक परिवेश में उन्हे ज्ञान-विज्ञान की समुचित शिक्षा से अलंकृत करने की महती आवश्यकता है। समाज की इसी आवश्यकता को दृष्टि में रखकर बलिया जनपद के बांसडीह की धरती पर , जो उच्च शिक्षा के केंद्र से पूर्णतया वंचित थी , महाविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया , जो ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन , कमजोर , वंचित व विशेष रूप से बालिकाओं को उच्च शिक्षा सुलभ कराने का संकल्प ही स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाँसडीह के रूप में साकार हुआ। इसे स्थापित करने की संकल्पना रकसा रतसर निवासी व किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय रकसा , रतसर-बलिया के संस्थापक व प्रबंधक श्री लल्लन सिंह जी के मन में आयी, इसे मूर्तरूप देने में बाँसडीह क़स्बा निवासी डा0 विनोद कुमार सिंह जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। महाविद्यालय हेतु आवश्यक भूमि की रजिस्ट्री दिनांक 16 जनवरी 1998 को हुई , जो बाँसडीह तहसील के सुजौली , बघौली व नरला मौजा के संयुक्त क्षेत्र में स्थित है।
तत्समय महाविद्यालय के संचालनार्थ मातृ संस्था के रूप में सागर राय मेमोरियल कल्याणकारी संस्थान, बाँसडीह-बलिया का पंजीकरण दिनांक 14 जनवरी 1998 को कराया गया तथा विश्वविद्यालय व शासन स्तर की औपचारिकताएं पूर्ण कर व भवन निर्माण की प्रक्रियाओं के पश्चात दिनांक 1 जुलाई 2000 से महाविद्यालय स्नातक कला संकाय (विषय - हिन्दी, प्राचीन इतिहास, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, गृहविज्ञान व सैन्यविज्ञान) की मान्यता प्राप्त कर , बी. ए. प्रथम वर्ष में छात्र/छात्राओं का प्रवेश ले अपने संकल्प "अहर्निशं विद्यामहे" के मूल सूत्र के साथ अग्रसर होने लगा।
दिनांक 1 जुलाई 2012 से महाविद्यालय , समाजशास्त्र एवं गृहविज्ञान विषयों में परास्नातक की मान्यता प्राप्त कर स्वतः को स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में प्रतिस्थापित किया।
दिनांक 1 जुलाई 2015 से शिक्षा संकाय में बी. एड.की मान्यता प्राप्त कर कक्षा संचालन प्रारम्भ किया।
दिनांक 1 जुलाई 2018 से बी. ए. में उर्दू व् भूगोल विषय , एम. ए. में शिक्षाशास्त्र व हिन्दी विषय की मान्यता प्राप्त की तथा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम बी. टी. सी. की मान्यता भी प्राप्त कर प्रशिक्षण कार्य प्रारम्भ कराया।
दिनांक 1 जुलाई 2019 से चार वर्षीय शिक्षक स्नातक कोर्स बी. एल. एड. की कक्षाएं भी मान्यता प्राप्ति के पश्चात् प्रारम्भ हुई।



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